किसानों के विरोध प्रदर्शन से पहले दिल्ली-नोएडा बॉर्डर जाम: बढ़ती चिंता 

किसानों के विरोध प्रदर्शन से पहले दिल्ली-नोएडा बॉर्डर जाम: बढ़ती चिंता

उत्तर प्रदेश के किसान सोमवार को दिल्ली में संसद भवन तक मार्च करने वाले हैं, इस बीच दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर भीषण जाम लग गया है। किसान महामाया फ्लाईओवर के पास से मार्च शुरू करेंगे और दोपहर 12 बजे पैदल और ट्रैक्टरों पर सवार होकर दिल्ली की ओर बढ़ेंगे। 20 जिलों के किसान विरोध मार्च में हिस्सा लेंगे। किसान नए कृषि कानूनों के आधार पर मुआवजे समेत अपनी पांच मांगों को लेकर दिल्ली जा रहे हैं। 

नोएडा ट्रैफिक जाम: नए कृषि कानून के तहत बिजली की मांग को लेकर किसान आज यानी 2 दिसंबर को दिल्ली कूच कर रहे हैं। ऐसे में बॉर्डर पर अल्कोहल जाम हो गया है। हिल बॉर्डर पर सुबह से ही सीमेंट जाम लग गया। लोगों को आने-जाने में कई तरह की चीजों का सामना करना पड़ रहा है 

पृष्ठभूमि:  

यूपी के किसान हाल के वर्षों में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिसमें फसल की कीमतों में गिरावट, इनपुट लागत में वृद्धि और अपर्याप्त सरकारी सहायता शामिल है। पिछले कुछ महीनों में स्थिति विशेष रूप से विकट हो गई है, जिसमें कई किसान अपना गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।  

विरोध के पीछे कारण:  

  1. फसल की कीमतों में गिरावट: पिछले कुछ वर्षों में गेहूं, धान और गन्ने जैसी फसलों की कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है। इससे किसानों के लिए अपनी लागत निकालना मुश्किल हो गया है, लाभ कमाना तो दूर की बात है।
  2. इनपुट लागत में वृद्धि: पिछले कुछ वर्षों में बीज, उर्वरक और कीटनाशकों जैसे इनपुट की लागत में लगातार वृद्धि हो रही है। इससे किसानों का लाभ मार्जिन और कम हो गया है।
  3. अपर्याप्त सरकारी सहायता: किसानों को पर्याप्त सहायता न देने के लिए यूपी सरकार की आलोचना की गई है। सरकार किसानों को पर्याप्त सिंचाई सुविधाएं, ऋण सहायता और विपणन सुविधाएं प्रदान करने में विफल रही है।
  4. कृषि ऋण: यूपी में कई किसान ऋण से जूझ रहे हैं। सरकार द्वारा पर्याप्त सहायता प्रदान करने में विफलता के कारण कई किसानों को निजी साहूकारों से अत्यधिक ब्याज दरों पर ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

किसानों की मांगें:  

  1. ऋण माफी: किसान अपने ऋणों की पूर्ण माफी की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि सरकार पर्याप्त सहायता प्रदान करने में विफल रही है, और इसलिए, उनके ऋणों को माफ करना सरकार की जिम्मेदारी है।
  2. एमएसपी में वृद्धि: किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि वर्तमान एमएसपी बहुत कम है और इससे उनकी लागत पूरी नहीं हो पाती है।
  3. बेहतर सिंचाई सुविधाएं: किसान बेहतर सिंचाई सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि वर्तमान सिंचाई सुविधाएं अपर्याप्त हैं और इससे फसल उत्पादकता में गिरावट आई है।
  4. बेहतर विपणन सुविधाएं: किसान बेहतर विपणन सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि वर्तमान विपणन सुविधाएं अपर्याप्त हैं और इससे फसल की कीमतों में गिरावट आई है।

उठाए जा रहे कदम:  

स्थिति को कम करने के लिए, अधिकारी कई कदम उठा रहे हैं, जिनमें शामिल हैं:  

– यातायात को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त यातायात पुलिस कर्मियों की तैनाती 

– वाहनों की आवाजाही पर नज़र रखने के लिए बैरिकेड्स और चेकपॉइंट स्थापित करना 

– वैकल्पिक मार्गों से यातायात को मोड़ना 

– सार्वजनिक परिवहन सेवाओं की आवृत्ति बढ़ाना 

निष्कर्ष:  

यूपी के किसानों का विरोध और दिल्ली तक उनका नियोजित मार्च सरकार द्वारा उनकी चिंताओं को दूर करने में विफलता का परिणाम है। किसान कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन की मांग कर रहे हैं, जिसमें कर्ज माफी, एमएसपी में वृद्धि, सिंचाई सुविधाओं में सुधार और बेहतर विपणन सुविधाएं शामिल हैं। सरकार को किसानों की मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान खोजने की दिशा में काम करना चाहिए। तभी किसानों का विरोध समाप्त हो सकता है और कृषि क्षेत्र को फिर से पटरी पर लाया जा सकता है।  

किसानों के विरोध प्रदर्शन से पहले दिल्ली-नोएडा बॉर्डर जाम: बढ़ती चिंता 

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